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हरियाणा में प्रॉपर्टी खरीदना अब होगा इतना महंगा, देखें नई रेट्स

हरियाणा में प्रॉपर्टी खरीदना अब होगा इतना महंगा, देखें नई रेट्स: हरियाणा के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने बाह्य विकास शुल्क (EDC) में 20% की बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह बढ़ोतरी आठ साल बाद की गई है, जो राज्य में रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह नई दरें 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगी और इनसे प्रदेश में प्लॉट और फ्लैट्स की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है।

EDC शुल्क में वृद्धि क्यों हुई? 💰

EDC शुल्क में यह बढ़ोतरी राज्य सरकार के विकास परियोजनाओं के लिए आवश्यक आधारभूत संरचनाओं के निर्माण के खर्च को पूरा करने के उद्देश्य से की गई है। EDC का इस्तेमाल सड़कों, जल आपूर्ति, बिजली, सीवरेज और अन्य बुनियादी सुविधाओं के निर्माण में किया जाता है। सरकार ने यह भी फैसला किया है कि EDC की दरें हर साल 10% बढ़ाई जाएंगी, जिससे यह एक दीर्घकालिक नीति बन जाएगी।

यह अधिसूचना टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के निदेशक अमित खत्री द्वारा जारी की गई है। अब, बिल्डर्स EDC शुल्क उपभोक्ताओं से वसूल करेंगे, जिससे कीमतों में वृद्धि हो सकती है, खासकर आवासीय प्लॉट्स और फ्लैट्स में।

हरियाणा के विकास क्षेत्र और नई EDC दरें 🌍

EDC दरों को हरियाणा में छह विभिन्न क्षेत्रों में बांटा गया है, जो उनके विकास संभावनाओं और शहरीकरण के हिसाब से वर्गीकृत किए गए हैं। विशेष रूप से पंचकूला जिले को नए EDC क्षेत्रों में नहीं रखा गया है, इसके लिए अलग से दरें तय की गई हैं।

यहां हरियाणा के क्षेत्रों का विभाजन इस प्रकार है:

क्षेत्रशामिल क्षेत्र
हाईपर पोटेंशियल जोनगुरुग्राम (फरीदाबाद, सोहना, ग्वाल पहाड़ी)
हाई पोटेंशियल जोन-Iसोनीपत, कुंडली, पानीपत
हाई पोटेंशियल जोन-IIअन्य तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र
मीडियम पोटेंशियल जोनपटौदी, हेलीमंडी, फर्रुखनगर
लो पोटेंशियल जोनधीरे-धीरे विकसित हो रहे क्षेत्र

खरीदारों के लिए आर्थिक प्रभाव 📈

यह EDC वृद्धि उच्च-डिमांड वाले क्षेत्रों जैसे कि गुरुग्राम में प्रॉपर्टी की कीमतों को बढ़ा सकती है। बिल्डर्स अब उपभोक्ताओं से अधिक शुल्क वसूलने के लिए मजबूर होंगे, जिससे वहां के फ्लैट्स और प्लॉट्स की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।

राज्य ने पहली बार मीडियम पोटेंशियल जोन के सीमा निर्धारण में बदलाव किया है। अब पटौदी, हेलीमंडी और फर्रुखनगर को लो पोटेंशियल जोन से हटाकर मीडियम पोटेंशियल जोन में शामिल किया गया है, क्योंकि इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि बढ़ रही है।

EDC गणना में किए गए महत्वपूर्ण बदलाव 🔍

सरकार ने EDC दरों के निर्धारण के लिए इंडेक्सेशन नीति में भी बदलाव किया है। भविष्य में, EDC दरों को निर्धारित करने के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया जाएगा। जब तक नई EDC दरें निर्धारित नहीं होतीं, तब तक हर साल 1 अप्रैल से 10% की वार्षिक वृद्धि लागू होगी।

इस बदलाव के साथ, राज्य सरकार का उद्देश्य शहरी विकास को और प्रभावी ढंग से संचालित करना है, जिससे बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जा सके।

क्या बिल्डर्स प्रभावित होंगे? 🏗️

यह वृद्धि बिल्डर्स के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि उन्हें इन बढ़े हुए EDC शुल्क को उपभोक्ताओं से वसूलने के लिए अपनी कीमतों में वृद्धि करनी होगी। हालांकि, सरकार ने पुराने बकाए को लेकर ‘समाधान’ योजना के तहत बिल्डर्स को राहत भी दी है, जिससे वे बकाया राशि को कम दरों पर चुका सकें।

भविष्य में परियोजनाओं पर इसका क्या असर होगा? 🏡

यह EDC वृद्धि वर्तमान और भविष्य की रिहायशी परियोजनाओं पर सीधे असर डालेगी। जैसे-जैसे बिल्डर्स को अधिक शुल्क वसूलने की आवश्यकता होगी, रियल एस्टेट कीमतों में वृद्धि हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां उच्च-डिमांड और विकास हो रहा है। इन बढ़ोतरी के बावजूद, राज्य की विकास नीति के तहत बेहतर सार्वजनिक सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।

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